bhairav kavach - An Overview

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डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभु

संहार भैरवः पायात् ईशान्यां च महेश्वरः ।।

भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा

According to the legend, Sri Batuka Bhairva was a five-year-aged little one who was incarnated to diminish the demon named ‘’Aapadh’’. It may also be construed which the Slokam is always to be recited to overcome fears and risks.

देवदानवगन्धर्वकिन्नरपरिसेवितम् ॥ ४॥

सम्पूजकः शुचिस्नातः भक्तियुक्तः समाहितः read more

पेयं खाद्यं च चोष्यं च तौ कृत्वा तु परस्परम् ।



सत्यं भवति सान्निध्यं कवचस्तवनान्तरात् ॥ ५॥

वैसे तो भैरव कवच का पाठ नित्य पूजा में बोलकर आसानी से किया जा सकता है, यदि कोई विशेष कामना हो, जैसे किसी तंत्र बाधा से रक्षा, परीक्षा में सफलता, चुनाव में विजय आदि तो इस विधि से भैरव कवच का पाठ करें।





पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः ।

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